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Autism Spectrum Disorder in Hindi || ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर

Autism Spectrum Disorder in Hindi || ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर

ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) एक न्यूरोविकासात्मक विकार है, जो सामाजिक संपर्क, संचार, और व्यवहार में महत्वपूर्ण चुनौतियों को जन्म देता है। यह विकार जन्म से ही होता है और व्यक्ति के जीवनभर प्रभावी रहता है। एएसडी के लक्षण और गंभीरता विभिन्न व्यक्तियों में भिन्न हो सकती है, जिससे इसे 'स्पेक्ट्रम' कहा जाता है।

ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के कारण

एएसडी के कारण पूरी तरह से समझे नहीं गए हैं, लेकिन निम्नलिखित कारण संभावित हो सकते हैं:

1. आनुवंशिक कारक (Genetic Factors):

  • एएसडी से संबंधित कई जीन पहचाने गए हैं, जो मस्तिष्क के विकास और संचार प्रणाली को प्रभावित करते हैं।
  • परिवार में एएसडी के इतिहास होने से जोखिम बढ़ सकता है।

2. पर्यावरणीय कारक (Environmental Factors):

  • गर्भावस्था के दौरान माता के संक्रमण, दवाइयाँ, और विषाक्त पदार्थों का संपर्क एएसडी के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
  • प्रारंभिक शैशवावस्था में मस्तिष्क के विकास को प्रभावित करने वाले पर्यावरणीय कारक भी योगदान कर सकते हैं।

ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के लक्षण

एएसडी के लक्षण प्रारंभिक शैशवावस्था में ही दिखाई देने लगते हैं, लेकिन कुछ मामलों में ये लक्षण बड़े होने तक पहचाने नहीं जाते। एएसडी के मुख्य लक्षण निम्नलिखित हैं:

1. सामाजिक संपर्क और संचार में कठिनाई:

  • आंखों से संपर्क बनाने में कमी।
  • चेहरे के भावों और शारीरिक संकेतों को समझने में कठिनाई।
  • मित्र बनाने और बनाए रखने में कठिनाई।
  • बोलने में देरी या बोलने की क्षमता में कमी।

2. सीमित और दोहरावदार व्यवहार:

  • एक ही कार्य या गतिविधि को बार-बार करना।
  • दिनचर्या में बदलाव को नापसंद करना।
  • विशेष रुचियों या विषयों में अत्यधिक रुचि।
  • हाथ हिलाने या घूमने जैसे दोहरावदार शारीरिक आंदोलनों का प्रदर्शन।

3. संवेदी संवेदनशीलता:

  • ध्वनि, प्रकाश, गंध, और स्पर्श के प्रति अत्यधिक संवेदनशीलता।
  • असामान्य संवेदी प्रतिक्रियाएँ जैसे ज़ोर से आवाज़ सुनने पर कान बंद करना।

निदान (Diagnosis)

एएसडी का निदान विभिन्न तरीकों से किया जाता है:

1. विकासात्मक मूल्यांकन (Developmental Assessment):

  • बाल रोग विशेषज्ञ, न्यूरोलॉजिस्ट, या विकासात्मक विशेषज्ञ द्वारा बच्चे के विकास का मूल्यांकन।
  • बच्चे के शारीरिक, सामाजिक, और संचार कौशल की जांच।

2. व्यवहारिक मूल्यांकन (Behavioral Assessment):

  • अभिभावकों और शिक्षकों से बच्चे के व्यवहार और कौशल के बारे में जानकारी।
  • ऑटिज़्म डायग्नोस्टिक ऑब्ज़र्वेशन स्केड्यूल (ADOS) और ऑटिज़्म डायग्नोस्टिक इंटरव्यू-रिवाइज़्ड (ADI-R) जैसे मानक परीक्षण।

3. चिकित्सीय मूल्यांकन (Medical Assessment):

  • आनुवंशिक परीक्षण और न्यूरोलॉजिकल जांच।
  • अन्य चिकित्सीय स्थितियों का मूल्यांकन जो एएसडी के समान लक्षण दिखा सकती हैं।

उपचार और प्रबंधन (Treatment and Management)

एएसडी का उपचार और प्रबंधन बहु-आयामी होता है और प्रत्येक व्यक्ति की विशिष्ट आवश्यकताओं पर निर्भर करता है:

1. व्यवहारिक हस्तक्षेप (Behavioral Interventions):

  • एप्लाइड बिहेवियर एनालिसिस (ABA): व्यवहार को सुधारने और नए कौशल सिखाने के लिए।
  • सोशल स्किल्स ट्रेनिंग: सामाजिक कौशल और संचार क्षमताओं को सुधारने के लिए।

2. शैक्षिक और व्यावसायिक हस्तक्षेप (Educational and Vocational Interventions):

  • विशेष शिक्षा कार्यक्रम: व्यक्तिगत शिक्षा योजना (IEP) के माध्यम से।
  • व्यावसायिक प्रशिक्षण और सहायता: नौकरी में सफल होने के लिए।

3. चिकित्सीय हस्तक्षेप (Therapeutic Interventions):

  • भाषण और भाषा चिकित्सा (Speech and Language Therapy): संचार कौशल में सुधार के लिए।
  • व्यावसायिक चिकित्सा (Occupational Therapy): दैनिक जीवन की गतिविधियों में सुधार के लिए।
  • संवेदी एकीकरण चिकित्सा (Sensory Integration Therapy): संवेदी संवेदनशीलता को प्रबंधित करने के लिए।

4. दवाइयाँ (Medications):

  • कुछ मामलों में, एएसडी से जुड़े लक्षणों जैसे चिंता, अवसाद, और ध्यान की कमी को प्रबंधित करने के लिए दवाइयाँ दी जा सकती हैं।

5. परिवारिक और सामुदायिक समर्थन (Family and Community Support):

  • अभिभावकों और देखभाल करने वालों के लिए परामर्श और सहायता।
  • एएसडी से प्रभावित व्यक्तियों के लिए सामुदायिक समर्थन समूह और संसाधन।

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