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Historical Perspectives of Disability - National and International & Models of Disability in Hindi || विकलांगता के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य - राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय और विकलांगता का परिचय

Historical Perspectives of Disability - National and International & Models of Disability in Hindi || विकलांगता के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य - राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय और विकलांगता का परिचय

 (INTRODUCTION TO DISABILITIES)
(Special Education) 
 
Table of Content (toc)

Historical Perspectives of Disability || विकलांगता के ऐतिहासिक विकास को समझाना :-


विकलांगता के ऐतिहासिक जानकारी के अनुसार की 
बारहवीं शताब्दी के बाद विकलांग बच्चों के प्रति लोगों के दृष्टिकोण में बदलाव आया और कुछ धर्मावलम्बियों ने इनको समाज का अंग मानते हुए इनके लिए अलग व्यवस्था करना आरम्भ कर दिया। सत्रहवीं शताब्दी तक आते आते इनकी शिक्षा-दीक्षा देख-रेख आदि की व्यवस्था कर ज्ञान दिया जाना प्रारम्भ हुआ ।

चौदहवीं शताब्दी में विशेष रूप से विकलांग बच्चों के पुर्नवास की व्यवस्था की गयी । उन्नीसवीं शताब्दी तक इन बच्चों के शिक्षण प्रशिक्षण एवं रोजगार की व्यवस्था की जाने लगी । उन्नीसवीं शताब्दी में लुईस ब्रेल ने ब्रेल लिपि का निर्माण करके दृष्टिबाधित बच्चों के शिक्षा आसान कर दी। सन् 1784 में दृष्टिबाधित बच्चों के शिक्षा के लिए सर वैलेनटाइन हार्वे ने पेरिस में प्रथम विद्यालय खोला ।

सन् 1789
में सर सैम्युअल हार्वे ने साइन लैग्विंग पद्धति का निर्माण किया जिसके अन्तर्गत संकेतों के माध्यम से श्रवण बाधित बच्चों को शिक्षा से जोड़ने पर बल दिया गया। सन् 1826 में उत्तर- भारत में विशेष शिक्षा का शुभारम्भ हुआ। राजा कालीशंकर मोसाल ने बनारस में दृष्टिहीन बालकों पाठशाला की के लिए व्यवस्था की। सन् 1904 रायल कमीशन में विकलांगों में की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए कुछ नियम बनाये गये जो में सर्वसम्मति 1908 के साथ पारित हुए। सन् 1905 में मन्द बुद्धि बालकों के लिए बुद्धिमापन के लिए साइमन टेस्ट का निर्माण किया गया। सन् 1919 में School for the Blind की स्थापना की गयी । सन् 1941 मद्रास मे मन्दबुद्धि बालकों की अलग व्यवस्था की गयी। सन् 1945 में स्वीटजरलैण्ड में मन्दबुद्धि बालकों के लिए आवासीय विद्यालय की स्थापना की। सन् 1992 में विकलांगता के क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों को उपाधि प्रदान करने के लिए RCI की स्थापना की गयी । 
 
सन् 1995 में PWD Act की स्थापना की गयी जो मुख्य रूप से विकलांगों के लिए सात प्रकार के कार्य करता है:- 
(i) Visval Impairment ( दृष्टि बाधिता) 
(ii) Low Vision (अल्प दृष्टि बाधिता ) 
(iii) Mental Retardation ( मांसिक मंदता ) 
(iv) Mental Illness ( मानसिक रोग ) 
(v) Hearing Impairment ( श्रवण बाधिता ) 
(vi) Locomotar disabilities (गाअक्षमता ) 
(vii) Leprocy cured ( कुष्ठ रोग )

Constitutional Obligation for children with Disability || दिव्यांग बच्चों के लिए संवैधानिक कर्तव्य:-

दिव्यांग बच्चों की बढ़ती हुई जनसंख्या तथा उनकी दशा देखकर समाज में एक नये क्रान्ति का दौर आया जिसमें इन निषब्ध बच्चों की समस्या तथा उनके गिरते विकास को देखकर विकलांगों के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाये गये। एक आकल के फलस्वरूप यह स्पष्ट हुआ कि यदि इन बच्चों की समस्या को गम्भीरता से नहीं लिया गया या रोका नहीं गया तो यह समस्या आगे चलकर विकास के मार्ग में अवरोध उत्पन्न कर सकती है |
 
भारत सरकार द्वारा इसके लिए कई नीतियां व कार्यक्रम बनाये गये जिससे इन बच्चों की समस्या तथा स्वास्थ से जुड़े कई प्रकार के नियमों को ध्यान में रखा गया। राष्ट्रीय विकास के अर्न्तर्गत संविधान के प्रारूपों को विकलांगता से जोड़कर एक सही दिशा दी गयी। इस प्रकार के बच्चों के लिए उनकी समस्या के अनुरूप दिव्यांगता की वर्गीकरण किया गया, इसके साथ-2 दिव्यांग बच्चों के लिए भारत सरकार ने PWD Act ( समान अवसर अधिकारों का संरक्षण एवं समाज में उनकी पूर्ण भागीदारी ) बनाया गया ।
PWD Act के अन्तर्गत इन दिव्यांग व्यक्तियों के लिए विभिन्न कल्याणकारी  एवं लाभकारी योजनायें लागू की गयी, इन योजनाओं को Rural Area एवं D Backward Category तक क्रियांवित किया गया। विशक्त जनों को लाभ पहुंचाने के लिए प्रत्येक District में विकलांग कल्याण विभाग कार्य कर रहा है ।

U.P के कुछ जिलों में इन योजनाओं को सफलतापूर्वक क्रियांन्वित करने के लिए विकास खण्ड स्तर पर पुर्नवास कर्मियों द्वारा चुने गये जिलों में दिव्यांग व्यक्तियों को आवश्यक सुविधा देने के साथ- 2 सभी प्रकार के अन्य संसाधन उपलब्ध कराये जाते हैं।

जन जागरुकता का तेजी से प्रचार प्रसार किया जा रहा है। इन सभी सुविधाओं के विषय में ग्रामीण एवं
Backward Category को भी सूचना दी जाती ताकि वे अपने सभी अधिकारों के विषय में जान सकें । संवैधानिक रूप से इन सभी निषब्ध व्यक्तियों के लिए सभी योजनाओं को पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।


Unit 1: Understanding Disability

1.1 Historical perspectives of Disability - National and International & Models of Disability || विकलांगता के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य - राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय और विकलांगता के मॉडल

1.2 Concept, Meaning and Definition - Handicap, Impairment, Disability, activity limitation,
habilitation and Rehabilitation || अवधारणा, अर्थ और परिभाषा - विकलांगता, हानि, विकलांगता, गतिविधि सीमा, पुनर्वास और पुनर्वास

1.3 Definition, categories (Benchmark Disabilities) & the legal provisions for PWDs in India ||भारत में दिव्यांगों के लिए परिभाषा, श्रेणियां (बेंचमार्क विकलांगताएं) और कानूनी प्रावधान

1.4 An overview of Causes, Prevention, prevalence & demographic profile of disability: National and Global || विकलांगता के कारण, रोकथाम, व्यापकता और जनसांख्यिकीय प्रोफ़ाइल का अवलोकन: राष्ट्रीय और वैश्विक

1.5 Concept, meaning and importance of Cross-Disability Approach and interventions || क्रॉस-विकलांगता दृष्टिकोण और हस्तक्षेप की अवधारणा, अर्थ और महत्व

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